Everything about Shiv chaisa
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स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
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ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
अर्थ: हे शिव शंकर आप तो संकटों का नाश करने वाले हो, भक्तों का कल्याण व बाधाओं को दूर करने वाले हो योगी यति ऋषि मुनि सभी आपका ध्यान लगाते हैं। शारद नारद सभी आपको शीश नवाते हैं।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं Shiv chaisa चालीसा।
नमो नमो दुर्गे Shiv chaisa सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
शिव चालीसा का पाठ करने से आपके कार्य पूरे होते है और मनोवांछित वर प्राप्त होता हैं।